पेठ जाहिराती

समुंदर मेरे मन का, गहरा और अद्वितीय, | Samundar mere manka

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समुंदर मेरे मन का, गहरा और अद्वितीय,

समुंदर मेरे मन का, गहरा और अद्वितीय, | Samundar mere manka


समुंदर मेरे मन का, गहरा और अद्वितीय,

लहरों की गति से बदलता हर लम्हा, हर पल, 
जैसे मेरी भावनाओं की लहरें, बेहती अविरल।

उसका रंग बदलता है, मिलते हैं दिन और रात, मेरे मन के समुंदर में, 
छुपा हुआ हर राज़, जब खुदा से मैं खो जाता हूँ, मिल जाती है मोक्ष।

किनारों पर खड़ा हूँ, किंतु अनगिनत सपनों का इंतजार, 
जब उन लहरों से मिलती है वो मिठास और संगीत, 
तब हो जाता हूँ मैं अपने आप में पूर्ण, पूर्ण स्वरूप में आदर।

समुंदर मेरे मन का, विशाल और अनंत है, वहाँ पर छुपा है मेरा सबसे गहरा रहस्य, 
जिसे खोजते-खोजते हर रोज़, पाता हूँ मैं अपनी सच्ची पहचान।

समुंदर मेरे मन का, यह कविता का मुद्दा नहीं है, वह मेरे भावनाओं का एक परिचय है, 
जो हमें मिलता है चुपके से, जब हम खुद को और अपने सपनों को खो देते हैं समुंदर के गहराई में।

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