पेठ जाहिराती

बांसुरी की धुन पर प्रेम की सरगम

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**बांसुरी की धुन पर प्रेम की सरगम**


जमुना के किनारे बसी, सुख की सौगात,  

कृष्ण और राधा, प्रेम की लहरों की बात।  

चाँदनी में चमकते, दो दिलों के मोती,  

जैसे बांसुरी की धुन हो, सृजन की जोड़ी।  


राधा की आँखों में, चमकते हैं ख्वाब,  

कृष्ण की बांसुरी में, सुनाई देते हैं जाप।  

हर स्वर में छिपी, प्रेम की गहराई,  

हर लफ्ज़ में बसी, सच्चाई की परछाई।  


झील की सतह पर, तरंगों का गीत,  

जैसे कृष्ण की धुन में, राधा की तासीर।  

संग बैठें दोनों, बुनते हैं प्रेम का राग,  

जैसे बांसुरी का स्वर, सुनाए दिल का भाग।  


राधा की मुस्कान में, फूलों की नमी,  

कृष्ण की बांसुरी में, बसता प्रेम की अंजलि।  

जमुना के जल में, प्रेम का प्रतिबिंब,  

कृष्ण और राधा की कथा, एक अमृत क़िंब।  


सपनों की पंखुड़ी, बांसुरी के स्वर पर,  

खिलते हैं प्रेम के रंग, जैसे सजे गुलाब कर।  

राधा के दिल की धड़कन, कृष्ण की बांसुरी में,  

आत्मा का संगीत, समाहित हर स्वर में।  


तो सुनो उस धुन को, जो प्रेम का गान है,  

कृष्ण और राधा की कथा, एक प्रेम रचनाकार है।  

जमुना के किनारे पर, बांसुरी की धुन से,  

राधा और कृष्ण का प्रेम, अमर और सच्चे।

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